We conduct various training either scheduled in our annual training calendar or as per requirement of organization around livestock based livelihoods planning and management. Some of major training we have conducted for over 100 organisations till date are –
A1. 3 days Orientation of organization heads, management committees on planning for small livestock based livelihood – Focus of organization what and how it should be taken as per our experience and what are major steps.
This training may be orgainised at organization premises provided 2 to 3 organisation with 15 participants get involved.
A2. 5 days Training of Young professionals on Livestock Based livelihoods – This training aim to train Project managers and senior level project functionaries to orientation on key problems and key concepts of livestock based livelihoods projects. Provides opportunity on technology, institution, financial services and product market development strategy and builds on participants experience on livestock or any other livelihoods domain.
A 6 months course with 2 5 days technical training is organized for a batch of 15 to 20 participants in each quarter of the year. However participants may join 2 days orientation training course before joining actual training course to make a decision to learn further and join the course. Orientation program Fee is Rs 1500 per participant and 6 Months course fee is Rs 7500. One can either, directly join six month course by paying fees to organization account to join orientation program and then can decide further course of action.
ये क्षेत्र के आधार पर तय होता है। प्रत्येक नस्ल की कुछ अच्छाईयाँ हैं जिसे व्यवसायिक दृष्टि से दोहन किया जा सकता है। द गोट ट्रस्ट का अनुभव बताता है कि शुरूआत स्थानीय नस्ल की उत्तम बकरा-बकरी से करना चाहिए ताकि शुरूआती समस्या कम हो। स्थानीय उत्तम बकरा-बकरी से शुरूआत करें। प्रत्येक क्षेत्र में उत्तम, साधारण तथा खराब गुणवत्ता की बकरी उसी नस्ल के अंदर होती है। अतः ध्यान उत्त पैदावार देने वाली बकरी के चयन पर होनी चाहिए। शुरू में अनुभव कम होने से बाहर की बकरी लाने पर निम्न समस्या आने की संभावना है-
(क) अधिकतम संभावना है कि दूसरे क्षेत्र से कम उत्पादकता वाली बकरी ही मिल पाए क्योंकि दूसरे क्षेत्र से कम गुणवत्ता वाली बकरी ही हाट/बाजार मे बिकने आती है। बहुत अच्छी बकरी के लिए घर-घर जाकर बकरी खरीदना संभव नहीं हो पाता।
ख) बाहर से बकरी लाने पर परिवहन का तनावव, लम्बे समय तक भूखा रहना, कमजोर बकरी मिलना, बीमार बकरी (लक्षण बाद में दीखते हैं) आम समस्या होती है। ऐसे में बकरियों में संक्रमण, अतिसार, पेचिस, दस्त जैसी बीमारी की अधिक संभावना रहती है। शुरू में प्रबंधन भी एकदम मजबूत नहीं हो पाता। अतः मृत्यु दर बढ़ जाती है। एकबार स्वयं का प्रबंधन अनुभव होने के बाद फार्म के उद्देश्य जैसे बकरीद के लिए बकरा, दूध, मेमना पालन, मांस के हिसाब से नस्ल चयन आसान होगा। बकरीद के लिए जहां ओसमानाबादी, सिरोही, तोतापरी, जमनापारी, बुंदेलखंडी जैसी बड़ी आकार वाली नस्ल सही दाम देती हैं, वही दूध के लिए बीटल, सिरौती, जखराना, नस्ल ज्यादा फायदेमंद है। स्थानीय मांस के लिए बिक्री के नजरिए से ब्लैक बंगाल, बरबरी जैसी छोटी लेकिन ज्यादा मेमने देने वाली तथा साल में दो बार मेमने देने वाली बकरी अच्छी रहती है। अतः निर्णय बाजार तथा फार्म उद्देश्य पर निर्भर करता है।
आमतौर पर इस बिजनेस को कहते हैं, Grow in to livestock business, don’t go in to livestock business इसका मतलब है कि कम से शुरू करें और अनुभव लेकर आगे बढ़ें। मोटे तौर पर बात की जाये तो 50 पशु बकरी एक आदर्श फार्म के लिए अच्छी हैं और फिर हर माह नए पशु डाले जा सकते हैं। एक समस्या यह भी है कि एक साथ अच्छी बकरी मिलना मुश्किल है अतः शुरूआत कम बकरी से करें तथा अगले 3-4 माह में स्टाक में वृद्धि करें। अगर आप छोटी नस्ल की बकरी (ब्लैक बंगाल, बरबरी) से शुरू करते हैं तो प्रति बकरी सालाना कुल खर्च रू 6000-8000 आने की संभावना है और यदि बड़ी नस्ल (जमनापारी, सिरोही, उसमानाबादी, बीटल) का फार्म शुरू करते हैं तो प्रति बकरी रू 12 से 15 हजार खर्च आने की संभावना है, लेकिन खर्च हरे चारे व दाने की उपलब्धता तथा स्थानीय दर के हिसाब से 10-20 प्रतिशत बढ़ या घट सकती है।
वैसे तो बकरी की आपूर्ति का सबसे बड़ा आम तरीका हाट या व्यापारी है लेकिन अनुभव के हिसाब से अच्छी बकरी इन व्यापारियों द्वारा बहुत कम खरीदी ओर बेची जाती है। इसके अलावा ऐसी खरीद में बीमार बकरी होने की संभावना अधिक होती है जो कि बड़े नुकसान का कारण हो सकती है।
द गोट ट्रस्ट अपने यहा प्रशिक्षित उद्यमियों को बकरी की गुणवत्ता के लिए मापदण्ड प्रदान करता है। बकरी की लम्बाई, ऊचाई, उम्र, वजन, रंग, नस्ल आदि की जानकारी होने के बाद अच्छी बकरी के लिए व्यापारियों को मापदण्ड दिया जा सकता है। द गोट ट्रस्ट आवश्यकता पड़ने पर खरीद में तकनीकि सहयोग तथा आसपास चल रहे परियोजना के बकरी पालक से लिंकेज देता है, कुछ हद तक अच्छे व्यापारियों से द गोट ट्रस्ट संपर्क व समझौता करने में मदद करता है। बहुत आवश्यक होने पर संस्था की सहायक कम्पनी नन्दी नन्दन ब्रीडस एण्ड सीड्स इंडिया प्राइवेट लि0 समुदाय से बकरी खरीद कर बकरी सप्लाई करता है जिसका रेट तथा शुल्क वेबसाइट www.thegoattrust.org/pashubajaar पर उपलब्ध है या www.pashubajaar.com पर जाकर आर्डर दे सकते हैं। चूंकि द गोट ट्रस्ट गुणवत्ता के मानक पर कार्य करती है, अतः बिना प्रशिक्षण का बकरी सप्लाई करने में रूचि नही लेता।
सामान्यतः अग्रिम बुकिंग (तीन माह) करने पर कुछ खास नस्ल के मेमना उपलब्ध कराए जा सकते हैं, लेकिन जैसा पिछले प्रश्न में बताया जा चुका है कि इसके लिए द गोट ट्रस्ट से प्रशिक्षित व्यक्तियों के साथ ही कार्य किया जाता है। ताकि मेमने के मापदण्ड तथा दर पर आम सहमति तथा समझ एक जैसी बन सके।
द गोट ट्रस्ट ट्रेनिंग के साथ साथ बकरी व्यवसाय योजना बनाना, फार्म डिजाइनिंग तथा ले आउट समय-2 पर फार्म विजिट, तकनीकी सहयोग तथा www.pashubajaar.com द्वारा बकरा/बकरी बेचने की सुविधा प्रदान करता है यहां से प्रशिक्षित व्यक्ति अपने फार्म पर तकनीकी सहयोग का बोर्ड लगा सकता है और फोन पर परामर्ष सुविधा 3 माह तक निःशुल्क है। इसके अलावा विशेष सहायता हेतु सहायतानुसार एक सामान्य शुल्क जमा करना होता है। जिसकी जानकारी वेबसाइट पर उलब्ध है।
द गोट ट्रस्ट शुरूआती दौर में अपने दम पर व्यवसाय शुरू करने की वकालत करता है, ताकि अपने अनुभवानुसार बड़ी कार्ययोजना पर कार्य किया जा सके। वैसे तो सरकार की कई स्कीम बकरी पालन व्यवसाय के लिए उपलब्ध है लेकिन बकरी की दर तथा खर्च का अनुमान व्यवहारिक रूप से कम है। स्कीम की जानकरी हेतु नजदीकी पशु पालन विभाग अधिकारी, जिला उद्योग केन्द्र, बैंक आदि से संपर्क करें, क्योंकि कई योजनाएं राज्यवार चलाई जाती है। प्रशिक्षण के दौरान केन्द्र सरकार की मुख्य योजनाओं पर चर्चा की जाती है तथा इसकी जानकारी इंटरनेट पर उपलब्ध है।
कृप्या सवाल संख्या 6 के उत्तर को देंखे।
द गोट ट्रस्ट 14 राज्यों में सिर्फ बकरी पालन पर सरकार व गैर सरकारी संस्थानों के साथ कार्यरत है। यह तकनीकी संस्था के रूप में कई सरकारी/गैर सरकारी योजनाओं को समर्थन दे रही है। दरअसल किसी प्रशिक्षण का असली पहचान प्रषिक्षु द्वारा प्राप्त ज्ञान, कौशल तथा समझ से होती है। इस संदर्भ में द गोट ट्रस्ट आज सबसे बड़े स्तर पर बकरी पालन का प्रशिक्षण कर रहा है तथा सर्टिफिकेट प्रदान करता है। इस सर्टिफिकेट को आप आवेदन के साथ बैंक में जमा कर सकते हैं, वैसे तो बड़े बैंक अधिकारी द गोट ट्रस्ट के कार्य से अवगत है लेकिन असली पहचान आपके ज्ञान और व्यवसाय योजना की स्पष्टता पर निर्भर करेगी। बैंक उद्यमी के ज्ञान व समझ पर लोन देता है, सिर्फ सर्टिफिकेट पर नही। अतः अगर आप सही रूप से सीखते हैं तथा बकरी व्यवसाय योजना के प्रति प्रतिबद्ध हैं तो लोन मिलने की पूरी संभावना है। इसके इतर सिर्फ सर्टिफिकेट पर लोन की संभावना न्यूनतम पाई गई है।
द गोट ट्रस्ट एक तकनीकी संस्था है तथा अत्यंत गरीब लोगों के लिए एक बटाई पर बकरी कार्यक्रम चलाती है। लेकिन व्यवसायिक उद्यमी के लिए द गोट ट्रस्ट के पास लोन की कोई योजना वर्तमान में नही है। अच्छे प्रतिभागी को संबंधित बैंक से लोन के लिए अनुषंसा पत्र कुछ हालातों में प्रदान किया जाता है।
प्रशिक्षण के उपरान्त कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण संस्था में किया जाता है यहां यह समझना जरूरी है कि 2 तरह के कार्यकर्ता हो सकते हैं। अगर आप फार्म मैनेजर स्तर के पढ़े लिखे व्यक्ति का प्रशिक्षण चाहते हैं जो कि फार्म का प्रबंधन, निरीक्षण, देखरेख तथा हानि लाभ की गणना करेगा, तो ऐसे शिक्षित कार्यकर्ताओं के लिए 6 दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण होता है जिसका शुल्क रू 15000/- है।
अगर आप अनपढ़ या कम पढ़े लिखे बकरी चराई करने वाले कार्यकर्ता का प्रशिक्षण चाहते हैं तो संस्था अपने फार्म पर उन्हें 6 दिन कार्य करने का अवसर प्रदान करता है, जिसमें हमारे फार्म मैनेजर मुख्य कौशल तथा तकनीकी को सिखाते हैं। ऐसे कार्यकर्ताओं को सिखाने का कुल खर्चा (रहना खाना सहित) रू 3500/- है।
हाॅ आपके बकरियों को रहने के लिए 10-15 वर्ग फिट बंद जगह तथा 30-40 वर्ग फिट खुला जगह प्रति बकरी आवशकता होती है। इसके अलावा लगभग 20 वर्ग फिट प्रति बकरी चारा दाना स्टोर तथा मषीन स्टोर के लिए जरूरी है। इस तरह प्रति बकरी 60-70 वर्ग फिट न्यूनतम जगह की आवशकता होती है। सिंचित तथा उपजाऊ भूमि में 1500 वर्ग फिट प्रति बकरी हरा चारा के लिए जगह की आवशकता होती है। कम उपजाऊ या असिंचित जमीन की स्थिति में यह आवशकता दुगनी यानि 3000 वर्ग फिट प्रति बकरी होती है।
प्रत्येक जानवर आमतौर पर खुला रहना पसंद करते हैं, लेकिन आवश्यक परिस्थिति (चारा-दाना) देने पर बंधी हुई स्थिति में बकरी रह सकती है। आमतौर पर चूंकि किसान बकरियों को जंगल में चराते हैं अतः उनसे खरीद कर अगले दिन रस्सी बंद पालन कई मुष्किलों को पैदा कर सकता है। अतः बकरी अगर रस्सी बंद तरीके से पालने वाले घर या कम खुली चराई वाले घर से खरीदी जाई तो रस्सी बंद पालन संभव है। निम्बकर संस्था (फाल्टन, पुणे) में हजारों बकरियों को पूर्णतया बंद पद्धति से पाला जाता है। जहां पर बकरों व बकरी का वजन 100 किग्रा तक है। द गोट ट्रस्ट में भी बकरा-बकरी को पूर्णतः बंद तरीके से पिछले 5 वर्ष से पाला जा रहा है तथा सूखा भूसा व दाना खिलाकर प्रजनक बकरों का पालन भी संभव कर दिखाया गया है।
द गोट ट्रस्ट के लगभग 10 प्रशिक्षार्थी सफल रूप से बकरी व्यवसाय कर रहे हैं। लेकिन यह कई क्षेत्रों में फैले हुए है तथा आमतौर पर बाहरी व्यक्तियों को समय नही दे पाते हैं। प्रशिक्षण के दौरान हम इन्हें साक्षात्कार के लिए बुलाने की कोशिश करते हैं चूंकि आमतौर पर विटित से व्यवसायिक लाभ नही है तथा परिवहन खर्च अत्यधिक होता है। अतः हम सीधे रूप से ऐसे किसी फार्म व्यवसायी से मिला नही पाते हैं।
आमतौर पर प्रति बकरी सालाना 4 से 5 हजार रूप्ये तथा बकरे पर 5-10 हजार रूप्ये तक का लाभ मिलने की संभावना है। लेकिन लाभ पूर्णतया प्रबंधन पर निर्भर करता है तथा बकरी पालन के अंदर भी कई तरह के व्यवसाय हैं। आमतौर पर बकरी पालन में द्वितीय वर्ष से नगद लाभ प्राप्त होता है
वैसे तो बकरा बकरी घर से ही बिक्री होती है, देश के बड़े मार्केट कलकत्ता, दिल्ली, हैदराबाद, नागपुर, मुम्बई तथा लगभग देश के सभी राज्यों की राजधानियां व शहर हैं। लेकिन निर्यात का सबसे बड़ा सेन्टर हैदराबाद है।
वैसे तो बकरियां हर परिस्थिति में पाली जा सकती हैं, लेकिन मुख्य समस्या चारा दान की है। शहर में चारा (हरा) मिलना मुश्किल या महंगा होता है। अतः सलाह है कि 2-4 बकरी पालना रूचि के हिसाब से संभव है, लेकिन कुछ बड़े स्तर पर बकरा/बकरी पालन लाभदायी होना मुश्किल होगा। कुछ लोग बकरीद के लिए अंतिम 2-3 माह शहर में लाकर बकरों को मोटा करते हैं जो एक व्यवसाय हो सकता है।
आमतौर पर बकरीद के बकरों से अच्छी कमाई होती है। लेकिन इन्हें तैयार करने में खर्च भी काफी ज्यादा आता है। अतः बाजार की समस्या होने पर (चंूकि 1 माह का ही बाजार होता है) बड़ा नुकसान भी हो सकता है। यदि इसके अतिरिक्त आपके मन में कोई जरूरी सवाल है तो आप thegoattrust@gmail.com पर मेल कर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए सबसे अच्छा कदम हमारा 2 दिवसीय आमुखीकरण कार्यक्रम में भाग लेकर विषय विषेषज्ञ से सीधे सवाल-जवाब प्राप्त किए जा सकते हैं। ध्यान रहे व्यवसाय के लिए एक लाइन का जवाब मुश्किल होता है। अतः हमारा सुझाव होगा कि हमारे वेबसाइट www.thegoattrust.org पर जाकर आमुखीकरण के लिए आवेदन करें।